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Demo Video Third Class

1st Video Of Second Session

( Start 2 Months Treatment )

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Demo Video Second Class

2nd Video Of First Session

( Start 2 Months Treatment )

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Mind Health Talk: On Credent TV

( Start 2 Months Treatment )

Mind Health Talk: On Credent TV

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Group Review

अब जब आप इस कोर्स के महत्व को समझ चुके हैं, तो उपचार शुरू करने के लिए WhatsApp बटन दबाएं और Call ME मैसेज करें। मुस्कुराता भारत टीम जल्द ही आपसे संपर्क करेगी।

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मानसिक स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए 7 जरूरी बातें।

मानसिक स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए 7 जरूरी बातें।

👉1. माइंड की तैयारी: सही ईलाज से पहले, माइंड को ठीक होने के लिए तैयार करना बहुत जरूरी है। अगर मन अवचेतन मन कि गहराई से ठीक होने के लिए तैयार ही नहीं होगा तो कोई भी तकनीक mind को नहीं कर सकती है।

 👉 2. रोग के प्रति धारणाएँ: मन कि गहराई में कुछ ऐसी धारणाएँ छुपी होती हैं जो मानसिक रोग को ठीक होने में अवरोध पैदा करती हैं। इन्हें ठीक करना बहुत जरूरी होता है।

 👉 3. दुखी होने कि आदत: लंबे समय तक जब व्यक्ति इन मानसिक समस्याओं में रहता है तो mind relax होना भूलने लगता है और उसे दुखी होने कि आदत होने लगती है। Mind को इस आदत से बाहर लाना बहुत आवश्यक है।

👉 4. नकारात्मक विचारों का नियंत्रण: मानसिक समस्याओं में नकारात्मक विचारों का आक्रमण होता है। इनके प्रभाव को कम करना और उन्हें नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
 
 👉 5. नकारात्मक न्यूरॉन्स को निष्क्रिय करना: कई दिनों तक नकारात्मक सोच के कारण नकारात्मक न्यूरॉन्स उत्पन्न हो सकते हैं, इसलिए उन्हें निष्क्रिय करना सीखना महत्वपूर्ण है। नहीं तो ये नकारात्मक न्यूरॉन्स मन को आशांति में रख सकते हैं।
 
 👉 6. सकारात्मक न्यूरॉन्स को बढ़ावा देना: मन को शांत और खुश रखने के लिए सकारात्मक न्यूरॉन्स को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
 
 👉 7. शरीर में नकारात्मक प्रभाव को कम करना: मानसिक समस्याओं से उत्पन्न होने वाला तनाव धीरे धीरे शरीर पर प्रभाव डालता है। इसके कारण शरीर में दर्द, जकड़न, पेट की समस्याएँ आदि हो सकती हैं। इस प्रभाव को कम करना महत्वपूर्ण है, ताकि मन भी शांत रह सके।
 
 ध्यान दें: बताए गए उपाए Psychological समस्याओं के लिए है। लेकिन यह शक्तिशाली तकनीकें Genetic और व्यक्तित्व के मामलों में भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। पर गंभीर Genetic मामलों में दवाइयों की सहायता की भी अवशयकता होती है।

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मानसिक समस्याओं के Factor:

मानसिक समस्याओं के Factor:

 👉 Psychological (तनाव और PTSD) सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कारण:
 “पोस्ट-ट्रौमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर” (PTSD): अर्थात किसी बुरी घटना, सदमे या बीमारी के बाद उत्पन्न होने वाली मानसिक समस्याएँ।
 
 जीवन में अनेक प्रकार की बुरी घटनाओं से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी कोई बुरी घटना, सदमा, तनाव या बीमारी का असर मन कि गहराई में चला जाता है। इसके बाद डर या अत्यधिक सोचने की शुरुआत हो सकती है, जिससे दिमाग में नकारात्मक न्यूरॉन्स बनने और बढ़ने लगते हैं। जिससे किसी मानसिक समस्या की उत्पत्ति होने लगती है। समय के साथ एक मानसिक समस्या दूसरी मानसिक समस्या को पैदा करने लगती है और यह समस्याएं गंभीर रूप लेने लगती हैं।
 
 👉 Biological: कुछ समस्याएं माता-पिता से बच्चे में आती हैं। या कभी-कभी किसी बच्चे का स्वभाव बचपन से ही overthinking का होता है या बचपन से ही डरपोक या अत्यधिक संवेदनशील होता है। अगर ध्यान न दिया जाये तो यह धीरे-धीरे मानसिक समस्याओं में परिवर्तित हो सकती हैं।
 👉 Social (माहौल और परवरिश): बचपन में मिला आस पास का माहौल और गलत परवरिश का तरीका भी मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
 
 धन्यवाद।

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पहले जाने कि जो समस्या सामने है वो समस्या है या परिणाम है?

पहले जाने कि जो समस्या सामने है वो समस्या है या परिणाम है?

मन की गहराई में बहुत सारी पुरानी दुखद बातें, डर, चिंताए, भावनाएँ, नकारात्मक विश्वास रखे हुये होते हैं जो मन को दुखी और बेचैन करते हैं। जिससे दिमाग पर तनाव बढ़ता रहता है।
 
 👉 बहुत से लोग यह नहीं जानते कि बढ़े हुये तनाव के कारण पैनिक अटैक, बेहोशी आदि तो होती ही है साथ में इसका प्रभाव शरीर पर भी दिखने लगता है।
 👉 इसकी सबसे बड़ी निशानी यह है कि मानसिक तनाव के कारण होने वाली शारीरिक समस्या का Test करवाने पर रिपोर्ट नॉर्मल आती है।
 
 जैसे: पेट की समस्या, सिरदर्द होना, छाती में दर्द रहना, पैनिक अटैक आना, चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज होना आदि समस्या होने लगती है। यह सभी बीमारियाँ अपने आप में बीमारी नहीं होती बल्कि मन में छुपी हुई पुरानी दुखद बातें, डर, चिंताए, नकारात्मक भावनाएँ, नकारात्मक विश्वास आदि का परिणाम होता है।
 
 इसलिए, जरूरी है समझना
 कि अधिकांश मानसिक समस्याओं का सम्बंध हमारे मन की गहराई से है। असली समस्या का समाधान पाने के लिए हमें इन गहरी बातों को समझना पड़ेगा।
 
 धन्यवाद।

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मनोवैज्ञानिक मानसिक समस्याओं के आपस में कनैक्शन होते हैं।

मनोवैज्ञानिक मानसिक समस्याओं के आपस में कनैक्शन होते हैं।

किसी एक समस्या से अन्य कोई भी समस्या पैदा होने लगती है।

 उदाहरण:
 ✔️ ओवेर्थिंकिंग से: डिप्रेशन, Anxiety, नींद की समस्या, सर में भारीपन आदि
  ✔️ नेगेटिव थिंकिंग से: डिप्रेशन, Anxiety, नींद की समस्या, सर में भारीपन, OCD, Panic Attack, IBS, Phobia. आदि।
 ✔️ पैनिक अटैक से: डिप्रेशन, Anxiety, IBS, Phobia आदि।
 ✔️ डिप्रेशन से: Anxiety, OCD, Panic Attack

 👉 अगर कम शब्दों में कहा जाये तो किसी एक मनोवैज्ञानिक मानसिक समस्या के शुरू होने के बाद वह अन्य मानसिक समस्याओं को भी पैदा करने लगती है।
 👉 जिससे समय बीतने के साथ-साथ समस्याएँ ठीक होने के बजाए बढ़ती जाती हैं।
 👉 ज़्यादातर लोग इन मानसिक समस्याओं को सिर्फ दवाई से ठीक करने की कौशिश करते हैं।
 👉 पर वो नहीं जानते कि जब तक मानसिक समस्याओं के “मनोवैज्ञानिक कनैक्शन” का सही से उपचार नहीं करेंगे। तब तक इन्हे ठीक करना बहुत मुश्किल है।

 👉 इसलिए याद रहे: इलाज के लिए कनेक्शन और बीमारी के मुख्य जड़ों पर भी काम करना होता है।

 *धन्यवाद। * ❤️🙏❤️

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“दवाइयों से इलाज” का सच।

"दवाइयों से इलाज" का सच।

🧠 मानसिक स्वास्थ्य🌱

मानसिक समस्याएँ और मनोवैज्ञानिक उपचार: अधिकांश मानसिक समस्याएँ मनोवैज्ञानिक प्रकृति की होती हैं, जिन्हें बिना दवाई के या दवाइयों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक थेरेपी से ठीक किया जा सकता है।

मनोवैज्ञानिक कारणों और दवाइयों की प्रभावशीलता: जब मानसिक समस्या मनोवैज्ञानिक कारणों से होती है, तो दवाइयाँ उतनी प्रभावशील नहीं होतीं। कुछ मामलों में दवाइयाँ लेने से समस्या बढ़ सकती है, क्योंकि जरूरत मनोवैज्ञानिक उपचार की होती है।

भारत में मानसिक समस्याएँ और दवाइयाँ: भारत में ज्यादातर लोग जो मानसिक समस्याओं के लिए दवाइयाँ ले रहे हैं, उन्हें दवाइयों की जरूरत नहीं होती है। अधिकांश मानसिक समस्याएँ PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) की तरह होती हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए दिमाग में बने नकारात्मक न्यूरॉन्स का री-प्रोग्रामिंग जरूरी होता है।

निष्कर्ष🔍: सही उपचार का अभाव अनेक लोगों को जीवन भर अनावश्यक रूप से दवाइयाँ खाने की ओर ले जाता है।